जुनूनी लोग मजलिस मे हर शहर हर गली मिल रहे है।कोई शरीर पेंट करा ले रहा है,कोई कार पेंट करा ले रहा है,कोई मोटर साईकिल रंग दे रहा है,हर ओर मजलिस की हवा चल रही है।सब दिल से,अपने मन से,अपने पैसों से सारे काम कर रहे है।जेब मे अठ्ठनी नही है लेकिन खर्च १ रूपया करने को तैयार है किसी एक की कहानी नही सब की ये ही कहानी य,हमारी भी यही कहानी है।मजलिस का इंकलाब आ रहा है और आ कर रहेगा।
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