Thursday, 12 January 2017

पँजा चरस पीकर ढीला पड़ा हुआ है,साइकिल लडकीयों की सवारी में मदहोश है।दोनों बैडरूम राजनीति कर रहे है।जाग जाओ राजनैतिक वंशजों,ऐसे सरकारें बनती/बिगड़ती नही है।ज़मीन पर संघर्ष करना पड़ता है,जो कि सिर्फ़ मजलिस कर रही है।

पँजा चरस पीकर ढीला पड़ा हुआ है,साइकिल लडकीयों की सवारी में मदहोश है।दोनों बैडरूम राजनीति कर रहे है।जाग जाओ राजनैतिक वंशजों,ऐसे सरकारें बनती/बिगड़ती नही है।ज़मीन पर संघर्ष करना पड़ता है,जो कि सिर्फ़ मजलिस कर रही है।



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